This is a famous temple of Hindu God Hanuman ji, believed to possess curing powers. This temple attracts many devotees every Tuesday and Saturday. ॐ श्री हनुमते नमः॥
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Sunday, November 13, 2016
Saturday, April 30, 2016
मातृ दिवस में गोलोकवासी ''माँ'' के श्री चरणों को सादर नमन !
मातृ दिवस में गोलोकवासी ''माँ'' के श्री चरणों को सादर नमन !
मित्रो !डॉ हनुमानवानी का मई २०१६ अंक प्रकाशित हो चुका है !श्री हनुमान मंदिर दंदरौआ धाम का यह मासिक प्रकाशन अवश्य पढ़ें !ये आप को दंदरौआ धाम से उपलभ्ध हो सकेगा ! या संपादक ''कुलदीप सेंगर '' से भी प्राप्त कर पाएंगे ! जिज्ञाशु पाठकगण इस ''आध्यात्म ज्ञान संजीवनी ''का लाभ ले सकते है ! दूरभाष -9926647609
Wednesday, August 12, 2015
Monday, December 1, 2014
Friday, November 28, 2014
Saturday, July 26, 2014
Saturday, July 12, 2014
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ
जनवरी से जुलाई तक सूर्य उत्तरायण रहता है !
जुलाई में गुरुपूर्णमा से दच्छिदायण हो जाता है !
इसी दिन से वरसात के चार महीनो की सुरुआत हो जाती है !
जिसे हम चातुर्मास(चौमासा )कहते है !
इन मासों में संत महात्मा इकट्ठे हो कर ईस्वर, वेदों, पुराणो के परस्पर ज्ञान का आदान प्रदान करते है !
इसी से वेदो के संपादक महर्षि वेद ब्याश के नाम से इसे ब्याश पूर्णिमा भी कहते है !
साधको के लिए ये अपने गुरुवों से प्राप्त ज्ञान के प्रति उनके लिए कृतज्ञता ब्यक्त करने का पर्व है !ब्यक्ति को इस संसार सागर में अपने जीवन को चलाने के लिए ज्ञान माँ,पिता आचार्य,और समाज से मिलता है !
और पारलौकिक ज्ञान प्राप्त कर मोछ का मार्ग, आध्यात्म गुरु के द्वारा मिलता है !
गुरुपूर्णमा इन्ही सब के प्रति कृतज्ञता ब्यक्त करने का पर्व है !
तो आइये हम सब अपने गुरुवो के प्रति नतमस्तक हों !
जनवरी से जुलाई तक सूर्य उत्तरायण रहता है !
जुलाई में गुरुपूर्णमा से दच्छिदायण हो जाता है !
इसी दिन से वरसात के चार महीनो की सुरुआत हो जाती है !
जिसे हम चातुर्मास(चौमासा )कहते है !
इन मासों में संत महात्मा इकट्ठे हो कर ईस्वर, वेदों, पुराणो के परस्पर ज्ञान का आदान प्रदान करते है !
इसी से वेदो के संपादक महर्षि वेद ब्याश के नाम से इसे ब्याश पूर्णिमा भी कहते है !
साधको के लिए ये अपने गुरुवों से प्राप्त ज्ञान के प्रति उनके लिए कृतज्ञता ब्यक्त करने का पर्व है !ब्यक्ति को इस संसार सागर में अपने जीवन को चलाने के लिए ज्ञान माँ,पिता आचार्य,और समाज से मिलता है !
और पारलौकिक ज्ञान प्राप्त कर मोछ का मार्ग, आध्यात्म गुरु के द्वारा मिलता है !
गुरुपूर्णमा इन्ही सब के प्रति कृतज्ञता ब्यक्त करने का पर्व है !
तो आइये हम सब अपने गुरुवो के प्रति नतमस्तक हों !
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