गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ
जनवरी से जुलाई तक सूर्य उत्तरायण रहता है !
जुलाई में गुरुपूर्णमा से दच्छिदायण हो जाता है !
इसी दिन से वरसात के चार महीनो की सुरुआत हो जाती है !
जिसे हम चातुर्मास(चौमासा )कहते है !
इन मासों में संत महात्मा इकट्ठे हो कर ईस्वर, वेदों, पुराणो के परस्पर ज्ञान का आदान प्रदान करते है !
इसी से वेदो के संपादक महर्षि वेद ब्याश के नाम से इसे ब्याश पूर्णिमा भी कहते है !
साधको के लिए ये अपने गुरुवों से प्राप्त ज्ञान के प्रति उनके लिए कृतज्ञता ब्यक्त करने का पर्व है !ब्यक्ति को इस संसार सागर में अपने जीवन को चलाने के लिए ज्ञान माँ,पिता आचार्य,और समाज से मिलता है !
और पारलौकिक ज्ञान प्राप्त कर मोछ का मार्ग, आध्यात्म गुरु के द्वारा मिलता है !
गुरुपूर्णमा इन्ही सब के प्रति कृतज्ञता ब्यक्त करने का पर्व है !
तो आइये हम सब अपने गुरुवो के प्रति नतमस्तक हों !
जनवरी से जुलाई तक सूर्य उत्तरायण रहता है !
जुलाई में गुरुपूर्णमा से दच्छिदायण हो जाता है !
इसी दिन से वरसात के चार महीनो की सुरुआत हो जाती है !
जिसे हम चातुर्मास(चौमासा )कहते है !
इन मासों में संत महात्मा इकट्ठे हो कर ईस्वर, वेदों, पुराणो के परस्पर ज्ञान का आदान प्रदान करते है !
इसी से वेदो के संपादक महर्षि वेद ब्याश के नाम से इसे ब्याश पूर्णिमा भी कहते है !
साधको के लिए ये अपने गुरुवों से प्राप्त ज्ञान के प्रति उनके लिए कृतज्ञता ब्यक्त करने का पर्व है !ब्यक्ति को इस संसार सागर में अपने जीवन को चलाने के लिए ज्ञान माँ,पिता आचार्य,और समाज से मिलता है !
और पारलौकिक ज्ञान प्राप्त कर मोछ का मार्ग, आध्यात्म गुरु के द्वारा मिलता है !
गुरुपूर्णमा इन्ही सब के प्रति कृतज्ञता ब्यक्त करने का पर्व है !
तो आइये हम सब अपने गुरुवो के प्रति नतमस्तक हों !
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