This is a famous temple of Hindu God Hanuman ji, believed to possess curing powers. This temple attracts many devotees every Tuesday and Saturday. ॐ श्री हनुमते नमः॥
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Tuesday, April 15, 2014
Tuesday, April 8, 2014
रामनवमी पूजन
रामनवमी :पूजन : सरल मंत्र
हर रोज पढ़ें राम के सरल मंत्र
हर प्रकार की सफलता के लिए पढ़ें राम के मंत्र
कहते हैं राम से बड़ा राम का नाम होता है। राम नाम की महिमा को स्वयं शिव ने भी स्वीकारा था। पुराणों में भी राम नाम का गुणगान वर्णित है। राम के सरल और छोटे मंत्रों का हर रोज अथवा राम नवमी पर जाप करने से मनचाही कामना पूरी होती है।
हर प्रकार की सफलता के लिए पढ़ें राम के संक्षिप्त मंत्र।
1. ॐ राम ॐ राम ॐ राम ।
2. ह्रीं राम ह्रीं राम ।
3. श्रीं राम श्रीं राम ।
4. क्लीं राम क्लीं राम।
5. फ़ट् राम फ़ट्।
6. रामाय नमः ।
7. श्री रामचन्द्राय नमः ।
8. श्री राम शरणं मम् ।
9. ॐ रामाय हुँ फ़ट् स्वाहा ।
श्री राम का सात शब्दों वाला तारक महामंत्र
सौभाग्य और सुख देता है राम का तारक मंत्र
श्री राम, जय राम, जय जय राम।
'श्री राम जय राम जय जय राम' - यह सात शब्दों वाला तारक मंत्र है। साधारण से दिखने वाले इस मंत्र में जो शक्ति छिपी हुई है, वह अनुभव का विषय है। इसे कोई भी, कहीं भी, कभी भी कर सकता है। फल बराबर मिलता है।
हमारा सबसे बड़ा दुर्भाग्य आज यही है कि हम राम नाम का सहारा नहीं ले रहे हैं। हमने जितना भी अधिक राम नाम को खोया है, हमारे जीवन में उतनी ही विषमता बढ़ी है, उतना ही अधिक संत्रास हमें मिला है। एक सार्थक नाम के रुप में हमारे ऋषि-मुनियों ने राम नाम को पहचाना है। उन्होंने इस पूज्य नाम की परख की और नामों के आगे लगाने का चलन प्रारंभ किया।
प्रत्येक हिन्दू परिवार में देखा जा सकता है कि बच्चे के जन्म में राम के नाम का सोहर होता है। वैवाहिक आदि सुअवसरों पर राम के गीत गाए जाते हैं। राम नाम को जीवन का महामंत्र माना गया है।
राम सर्वमय व सर्वमुक्त हैं। राम सबकी चेतना का सजीव नाम हैं। अस समर्थ रघुनायकहिं, भजत जीव ते धन्य॥ प्रत्येक राम भक्त के लिए राम उसके हृदय में वास कर सुख सौभाग्य और सांत्वना देने वाले हैं।
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिख दिया है कि प्रभु के जितने भी नाम प्रचलित हैं, उन सब में सर्वाधिक श्री फल देने वाला नाम राम का ही है।
यह नाम सबसे सरल, सुरक्षित तथा निश्चित रुप से लक्ष्य की प्राप्ति करवाने वाला है। मंत्र जप के लिए आयु, स्थान, परिस्थिति, काल, जात-पात आदि किसी भी बाहरी आडम्बर का बंधन नहीं है। किसी क्षण, किसी भी स्थान पर इसे जप सकते हैं।
जब मन सहज रूप में लगे, तब ही मंत्र जप कर लें। तारक मंत्र 'श्री' से प्रारंभ होता है। 'श्री' को सीता अथवा शक्ति का प्रतीक माना गया है। राम शब्द 'रा' अर्थात् र-कार और 'म' मकार से मिल कर बना है। 'रा' अग्नि स्वरुप है। यह हमारे दुष्कर्मों का दाह करता है। 'म' जल तत्व का द्योतक है। जल आत्मा की जीवात्मा पर विजय का कारक है।
हर रोज पढ़ें राम के सरल मंत्र
हर प्रकार की सफलता के लिए पढ़ें राम के मंत्र
कहते हैं राम से बड़ा राम का नाम होता है। राम नाम की महिमा को स्वयं शिव ने भी स्वीकारा था। पुराणों में भी राम नाम का गुणगान वर्णित है। राम के सरल और छोटे मंत्रों का हर रोज अथवा राम नवमी पर जाप करने से मनचाही कामना पूरी होती है।
हर प्रकार की सफलता के लिए पढ़ें राम के संक्षिप्त मंत्र।
1. ॐ राम ॐ राम ॐ राम ।
2. ह्रीं राम ह्रीं राम ।
3. श्रीं राम श्रीं राम ।
4. क्लीं राम क्लीं राम।
5. फ़ट् राम फ़ट्।
6. रामाय नमः ।
7. श्री रामचन्द्राय नमः ।
8. श्री राम शरणं मम् ।
9. ॐ रामाय हुँ फ़ट् स्वाहा ।
श्री राम का सात शब्दों वाला तारक महामंत्र
सौभाग्य और सुख देता है राम का तारक मंत्र
श्री राम, जय राम, जय जय राम।
'श्री राम जय राम जय जय राम' - यह सात शब्दों वाला तारक मंत्र है। साधारण से दिखने वाले इस मंत्र में जो शक्ति छिपी हुई है, वह अनुभव का विषय है। इसे कोई भी, कहीं भी, कभी भी कर सकता है। फल बराबर मिलता है।
हमारा सबसे बड़ा दुर्भाग्य आज यही है कि हम राम नाम का सहारा नहीं ले रहे हैं। हमने जितना भी अधिक राम नाम को खोया है, हमारे जीवन में उतनी ही विषमता बढ़ी है, उतना ही अधिक संत्रास हमें मिला है। एक सार्थक नाम के रुप में हमारे ऋषि-मुनियों ने राम नाम को पहचाना है। उन्होंने इस पूज्य नाम की परख की और नामों के आगे लगाने का चलन प्रारंभ किया।
प्रत्येक हिन्दू परिवार में देखा जा सकता है कि बच्चे के जन्म में राम के नाम का सोहर होता है। वैवाहिक आदि सुअवसरों पर राम के गीत गाए जाते हैं। राम नाम को जीवन का महामंत्र माना गया है।
राम सर्वमय व सर्वमुक्त हैं। राम सबकी चेतना का सजीव नाम हैं। अस समर्थ रघुनायकहिं, भजत जीव ते धन्य॥ प्रत्येक राम भक्त के लिए राम उसके हृदय में वास कर सुख सौभाग्य और सांत्वना देने वाले हैं।
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिख दिया है कि प्रभु के जितने भी नाम प्रचलित हैं, उन सब में सर्वाधिक श्री फल देने वाला नाम राम का ही है।
यह नाम सबसे सरल, सुरक्षित तथा निश्चित रुप से लक्ष्य की प्राप्ति करवाने वाला है। मंत्र जप के लिए आयु, स्थान, परिस्थिति, काल, जात-पात आदि किसी भी बाहरी आडम्बर का बंधन नहीं है। किसी क्षण, किसी भी स्थान पर इसे जप सकते हैं।
जब मन सहज रूप में लगे, तब ही मंत्र जप कर लें। तारक मंत्र 'श्री' से प्रारंभ होता है। 'श्री' को सीता अथवा शक्ति का प्रतीक माना गया है। राम शब्द 'रा' अर्थात् र-कार और 'म' मकार से मिल कर बना है। 'रा' अग्नि स्वरुप है। यह हमारे दुष्कर्मों का दाह करता है। 'म' जल तत्व का द्योतक है। जल आत्मा की जीवात्मा पर विजय का कारक है।
Thursday, March 27, 2014
Saturday, February 8, 2014
Thursday, January 30, 2014
Thursday, January 16, 2014
श्रीहनुमान विग्रह
रामदास महाराज |
भिंड जिले के मेहगांव इलाके के दंदरौआ गांव के मंदिर में सखी रूप में विराजे ‘‘श्रीहनुमान विग्रह’’ की दूर-दूर तक ‘डाक्टर हनुमान’ के नाम से भी पहचान बन गई है.
क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी उपासना करता है, रामभक्त हनुमान उनके असाध्य रोगों तथा दुखों का निवारण करते हैं.
सखी हनुमान मंदिर दंदरौआ आश्रम के महंत पुरूषोत्तम महाराज के शिष्य रामदास महाराज ने बताया कि दो दिन बाद छह नवंबर को आश्रम में रामचरित मानस के सुन्दरकाण्ड के 11111 पाठ शुरू हो रहे हैं और भक्तजनों के बैठने के लिए यहां बीस हजार वर्गफुट क्षेत्र में अस्थाई सभागार तैयार किया गया है, जिसमें सुन्दरकाण्ड के सभी साठ दोहों के बड़े-बड़े ‘कटआउट’ श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रदर्शित किए जा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि इस आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालुओं के आगमन के मद्देनजर ठहरने एवं भोजन की सभी व्यवस्थाएं की गई हैं.
ट्रेन एवं विमान से आने वाले विशिष्ट अतिथियों के ठहरने की व्यवस्था ग्वालियर शहर में है, जबकि आसपास के स्थानों से आने वाले लोगों के लिए भिण्ड, मेहगांव, गोहद एवं मौ में सरकारी विश्राम गृह सहित अन्य स्थान आरक्षित कराए गए हैं.
डाक्टर हनुमान’ |
इस सिद्ध स्थान के बारे में पूछने पर रामदास महाराज ने बताया कि ऐसी किवदंती है कि सखी रूप में श्रीहनुमानजी की मूर्ति यहां वर्ष 1532 में एक पीपल के पेड़ के गर्भ से निकली थी, जिसे सबसे पहले मिते नामक सिद्ध संत ने स्थापित कराया था.
चिकित्सक हनुमान का चमत्कारिक स्वरूप यहां लगभग 100 साल पहले लोगों को दिखाई दिया, जब गांव में महामारी फैली और मूर्ति को चढ़ने वाले चोले का टीका धारण करने से ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ होने लगा.
दंदरौआ आश्रम की स्थापना श्री पुरूषोत्तम महाराज ने की और इसकी देखरेख खुद रामदास महाराज कर रहे हैं. यहां हनुमान जयंती, गुरू पूर्णिमा एवं अन्य महत्वपूर्ण त्यौहारों के अलावा प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार हजारों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं.
रामभक्त हनुमान के यहां पर सखी रूप में विराजने को लेकर उन्होने कहा कि विवाह से पहले भगवान राम का जब जनकपुर की पुष्प वाटिका में सीता से मिलन हुआ था, तो सखी रूप में वहां मौजूद हनुमान ने ही इसे सम्पन्न कराया था.
जिस प्रकार सखी रूप में हनुमान ने मां सीता की मनोकामना पूरी की थी, ठीक उसी तरह दंदरौआ में वह अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं.
असाध्य रोगों के इलाज अथवा दुख निवारण के बारे में आश्रम के सेवक बृजकिशोर शर्मा ‘कल्लू’ ने कहा कि मूर्ति के चोले का सिंदूर जब पीड़ित के रोग स्थान पर लगाया जाता है, तो ऐसी मान्यता है कि वह रोग कुछ दिनों में ठीक हो जाता है.
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रामदास महाराज भिंड जिले के मेहगांव इलाके के दंदरौआ गांव के मंदिर में सखी रूप में विराजे ‘‘श्रीहनुमान विग्रह’’ की दूर-दूर तक ‘डा...